माँ और पिता - ओम व्यास ओम

माँ और पिता – ओम व्यास ओम

Maa aur Pita is a famous poem by Om Vyas Om giving a lovely and sentimental poetic description of mother and father. Try reading this poem loudly yet at a slow tempo and see its magic. Rajiv Krishna Saxena

माँ और पिता

माँ

माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है माँ
माँ जीवन के फूलों में खाुशबू का वास है माँ

माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है माँ
माँ मरुथल में नदी या मीठा सा झरना है माँ

माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है माँ
माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है माँ

माँ आखों का सिसकता हुआ किनारा है माँ
माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है माँ

माँ झुलसते दिनों में कोयल की बोली है माँ
माँ मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर की रोली है माँ

माँ कलम है, दवात है, स्याही है माँ
माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है माँ

माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है माँ
माँ फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है माँ

माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है माँ
माँ जिंदगी है, मुहल्ले में आत्मा का भवन है माँ

माँ चूड़ी वाले हााथों पे मजबूत कंधों का नाम है माँ
माँ काशी है, काबा है, चारो धाम है माँ

माँ चिंता है, याद है, हिचकी है
माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है

माँ चूल्हा, धुआँ, रोटी और हाथों का छाला है माँ
माँ जिंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है माँ

माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है
मां बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है

तो माँ की यह कथा अनादि है, अध्याय नहीं है
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है

तो माँ का महत्व दुनियाँ में कम हो नहीं सकता
औ माँ जैसा दुनियाँ में कुछ हो नहीं सकता

तो मैं कला की पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ
मैं दुनियाँ की सब माताओं को प्रणाम करता हूँ।

पिता

पिता जीवन है, संबल है, शक्ति है
पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है

पिता उंगली पकड़े बच्चे का सहारा है
पिता कभी कुछ खट्टा, कभी खारा है

पिता पालन है, पोषण है, पारिवारि का अनुशासन है
पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है

पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है

पिता अपदर्शित अनन्त प्यार है
पिता है तो बच्चों को इंतजार है

पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं
पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं

पिता से परिवार में प्रतिपल राग है
पिता से ही माँ का बिंदी और सुहाग है

पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है
पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है

पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है
पिता रक्त में दिये हुए संस्कारों की मूर्ति है

पिता एक जीवन को जीवन का दान है
पिता दुनिया दिखाने का अहसान है

पिता सुरक्षा है, सिर पर हाथ है
पिता नहीं तो बचपन अनाथ है

तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो
पिता का अपमान नहीं, उन पर अभिमान करो

क्योंकि मां­बाप की कमी कोई पाट नहीं सकता
और ईश्वर भी इनके आशीशों को काट नहीं सकता

विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है
मां­बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है

विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएं व्यर्थ हैं
यदि बेटे के होते मां­बाप असमर्थ हैं

वो खुशनसीब हैं मां­बाप जिनके साथ होते हैं
क्योंकि मा­बाप की आशीशों के हजारो हाथ होते हैं

~ ओम व्यास ओम

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13 comments

  1. बोलने के लिए शब्द नही है ।
    धन्यवाद

  2. i like it

  3. My favorite

  4. Rajendra Sharma

    Really great Kavita to parents .People need to implement in our life .

  5. I salute to late Sri Om vyas Om for this Great Poem for each n every Children.

  6. Mata pita ki es se achchhi koi bhakti ho nahi sakti, aur maa baap ke samman me es se achchhi koi kavita ho nahi sakti.

  7. Yeh kavita mujhe rulati hain.

  8. Aap ne Jo poem likhe hai sach mein en panktiyo ka koi jabab nahi Hain . Eia bat sabhi bachho aru unhe bhi sunna chaheya jo mata pita ko boj ke rup mein laate Hain. Very emotional and impressive poem

  9. Very heart touching poem excellent…

  10. Really grate poem,
    It’s touch my soul,
    I want to say from depth of my heart …….Thank you my mom and dad to give me this beautiful and grate life and thank you to God to give me this human life….

  11. abhishek dwivedi

    NICE poem written by om vyash jay hind accirding to the mom

  12. Wooww nice poem n reality of life.
    This poem is very impressive.

  13. Thanks We.ve got such a celestial poet.

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