A funny old and famous poem, just for reading and smiling / laughing. Illustration is by Garima Saxena.- Rajiv K. Saxena
वह युग कब आएगा?
जब पेड़ नहीं केवल शाखें होंगी
जब चश्मे के ऊपर आंखें होंगी
वह युग कब आएगा?
जब पैदा होने पर मातमपुरसी होगी
जब आदमी के ऊपर बैठी कुरसी होगी
वह युग कब आएगा?
जब धागा सुई को सियेगा
जब सिगरेट आदमी को पियेगा
वह युग कब आएगा?
जब अकल कभी न पास फटकेगी
जब नाक की जगह दुम लटकेगी
वह युग कब आएगा?
जब बुराई लोग ढूंढेंगे भलाई में
जब पानी बिकेगा दियासलाई में
वह युग कब आएगा?
जब गाड़ी घोड़े को खींचेगी
जब खेती नहरों को सींचेगी
वह युग कब आएगा?
जब बिना दरवाजों खिड़कियों का घर होगा
जब पेट में रेफरीजरटिर और दिल में हीटर होगा
वह युग कब आएगा?
जब श्रोता कविता पढ़ेंगे कवि सुनेंगे
जब एम एल ए ही वोटरों को चुनेंगे
वह युग कब आएगा?
जब टिकट लेकर चलने की कड़ी मनाही होगी
जब पलेटफार्म चलेंगे ट्रेन खड़ी रहेगी
वह युग कब आएगा?
जब गड्ढे आकाश में धंसेंगे
जब वीर रस सुन कर लोग हंसेंगे
वह युग कब आएगा?
जब किताब की जगह चिट होगी
जब अंगूठी कमर में फिट होगी
वह युग कब आएगा?
जब चकोर चोरी से आकाश को चुग लेगा
जब ज्वालामुखी अइसक्रीम उगलेगा
वह युग कब आएगा?
∼ बेधड़क बनारसी
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