अटल जी : दो कवितायेँ

अटल जी : दो कवितायेँ

Shri Atal Bihari Vajpayee was one of the most popular leaders of the nation, a statesman as well as a Kavi. When my book Geeta Kavya Madhuri was published in 2002, I wrote to Atal Ji that I wanted to personally come and give him few copies. He was at that time the Prime Minister. I was surprised to receive very soon an invitation to personally meet him. I remember the day of our meeting. Atal Ji spared a good 15 minutes to meet me in his own home on Race Course Road drawing room and read some portions of the book (photograph below). He was very appreciative and generous in his comments. All countrymen would affectionately wish him a long life on this birthday. I am presenting two of his poems. Rajiv Krishna Saxena

जीवन बीत चला

कल कल करते आज
हाथ से निकले सारे
भूत भविष्यत की चिंता में
वर्तमान की बाजी हारे

पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला।

हानि लाभ के पलड़ों में
तुलता जीवन व्यापार हो गया
मोल लगा बिकने वाले का
बिना बिका बेकार हो गया

मुझे हाट में छोड़ अकेला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला।

आओ फिर से दिया जलाएँ

आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल
वतर्मान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियां गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

अटल बिहारी वाजपेयी

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One comment

  1. स्वर्गीय अटल जी के जन्मदिवस पर सादर पुण्य स्मरण।

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