बातें - धर्मवीर भारती

बातें – धर्मवीर भारती

Here is Dharamvir Bharati’s description of talks that never end between two new lovers. Dedicated to all lovers on this Valentine ’s Day. Rajiv Krishna Saxena

बातें

सपनों में डूब–से स्वर में
जब तुम कुछ भी कहती हो
मन जैसे ताज़े फूलों के झरनों में घुल सा जाता है
जैसे गंधर्वों की नगरी में गीतों से
चंदन का जादू–दरवाज़ा खुल जाता है

बातों पर बातें, ज्यों जूही के फूलों पर
जूही के फूलों की परतें जम जाती हैं
मंत्रों में बंध जाती हैं ज्यों दोनों उम्रें
दिन की जमती रेशम लहरें थम जाती हैं!

गोधूली में चरवाहों की वंशी जैसे
शब्द कहीं दूर, कहीं दूर अस्त होते हैं

खामोशी छाती है
एक लहर आती है
सहसा दो नीरव होंठों की सार्थकता
दो कंपते होंठों तक आने में रह जाती है!

∼ धर्मवीर भारती

लिंक्स:

 

Check Also

A message form the motherland for those who left the country

रे प्रवासी जाग – रामधारी सिंह दिनकर

There is always nostalgia about the country we left long ago. Even as we wade …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *