Dharamvir Bharati

Dharamvir Bharati (25 December 1926 – 4 September 1997) was a renowned Hindi poet, author, playwright and a social thinker of India. He was the chief editor of the popular Hindi weekly magazine Dharmayug, from 1960 till 1987. Bharati was awarded the Padma Shree for literature in 1972 by the Government of India. His novel Gunaho Ka Devta became a classic. Bharati's Suraj ka Satwan Ghoda is considered a unique experiment in story-telling and was made into a National Film Award-winning movie by the same name in 1992 by Shyam Benegal. Andha Yug, a play set immediately after the Mahabharata war, is a classic that is frequently performed in public by drama groups. He was awarded the Sangeet Natak Akademi Award in Playwriting (Hindi) in 1988, given by Sangeet Natak Akademi, India's National Academy of Music, Dance and Drama.

नवंबर की दोपहर – धर्मवीर भारती

दोपहर, नवंबर महीने की

Here is a lovely poem of Dr. Dharamvir Bharati. Rajiv Krishna Saxena नवंबर की दोपहर अपने हलके–फुलके उड़ते स्पर्शों से मुझको छू जाती है जार्जेट के पीले पल्ले सी यह दोपहर नवंबर की। आयीं गयीं ऋतुएँ‚ पर वर्षों से ऐसी दोपहर नहीं आयी जो क्ंवारेपन के कच्चे छल्ले–सी इस मन …

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ठंडा लोहा – धर्मवीर भारती

Cold-steel

ठंडा लोहा! ठंडा लोहा! ठंडा लोहा! ठंडा लोहा! मेरी दुखती हुई रगों पर ठंडा लोहा! मेरी स्वप्न भरी पलकों पर मेरे गीत भरे होठों पर मेरी दर्द भरी आत्मा पर स्वप्न नहीं अब गीत नहीं अब दर्द नहीं अब एक पर्त ठंडे लोहे की मैं जम कर लोहा बन जाऊँ– …

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तुम कितनी सुंदर लगती हो: धर्मवीर भारती

How beautigul you look when you feel sad!

तुम कितनी सुंदर लगती हो तुम कितनी सुंदर लगती हो जब तुम हो जाती हो उदास! ज्यों किसी गुलाबी दुनिया में सूने खंडहर के आसपास मदभरी चांदनी जगती हो! मुख पर ढंक लेती हो आंचल ज्यों डूब रहे रवि पर बादल‚ या दिनभर उड़ कर थकी किरन‚ सो जाती हो …

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