geeta-kavita

Preface / Foreword (गीता-कविता.कॉम का प्रयोजन)

मैंने www.geta-kavita.com  की  स्थापना  क्यों की: मैं एक वेज्ञानिक हूँ (Please see rajivsaxena.info).  जीव विज्ञान में शोध करता हूँ और विश्वविद्यालय में पढ़ता हूँ। ऐसे में मेरा साहित्य प्रेम कई लोगों को बड़ी अजूबे की बात लगती है। लोग सोचते हैं कि जो साइंस पढ़ते हैं उनको फिर लिटेरचर में …

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एम्सटरडैम की यात्रा – राजीव कृष्ण सक्सेना

एम्सटरडैम की यात्रा

Netherlands is a beautiful country. Cool and crisp, clean and efficient. While I often visit the country as my daughter lives there, I recently visited the Amsterdam for a couple of days. I have written this article to summarize my impression of this city and the Dutch people. Rajiv Krishna …

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माँ कह एक कहानी – मैथिली शरण गुप्त

माँ कह एक कहानी – मैथिली शरण गुप्त

Most of us have heard this story of Siddharta and the swan wounded by a hunter. The story has a moral that the savior is far bigger a person than the killer. Here when Siddhartas son Rahul insists on hearing a bedtime story from his mother, she tells him his …

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गाँव जाना चाहता हूँ – राम अवतार त्यागी

गाँव जाना चाहता हूँ – राम अवतार त्यागी

Human society evolved in villages. City based civilizations came later. Village life is generally simple and peaceful. City living may be complex and stressful. Those who migrated to cities from villages, at times wish to return back to simple life of villages. Rajiv Krishna Saxena गाँव जाना चाहता हूँ ओ …

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मधु की रात – चिरंजीत

मधु की रात - चिरंजीत

Living a life is tough but there are some nights of pure love and bliss. Here is how Chiranjit describes such a night. Rajiv Krishna Saxena मधु की रात अलक सन्धया ने सँवारी है अभी म्यान में चन्दा कटारी है अभी चम्पई रंग पे न आ पाया निखार रात यह …

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माँ और पिता – ओम व्यास ओम

माँ और पिता - ओम व्यास ओम

Maa aur Pita is a famous poem by Om Vyas Om giving a lovely and sentimental poetic description of mother and father. Try reading this poem loudly yet at a slow tempo and see its magic. Rajiv Krishna Saxena माँ और पिता माँ माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है …

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तुम्हारा साथ: रामदरश मिश्र

तुम्हारा साथ सुख के दुख के पथ पर जीवन छोड़ता हुआ पदचाप गया, तुम साथ रहीं, हँसते–हँसते इतना लम्बा पथ नाप गया। तुम उतरीं चुपके से मेरे यौवन वन में बन कर बहार, गुनगुना उठे भौंरे, गुंजित हो कोयल का आलाप गया। स्वप्निल स्वप्निल सा लगा गगन रंगों में भीगी–सी …

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तीसरी कक्षा के छात्रों द्वारा बाल गीता का मंचन

तीसरी कक्षा के छात्रों द्वारा बाल गीता का वाचन

Baal Geeta written by Prof. Rajiv K. Saxena and published by Penguin Books is to educate little children in important messages from Geeta. The book has about 200 verses set in child-friendly meter so that children can easily recite these verses and learn them by heart. Third-standard students of Venkateshwar …

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हम सब सुमन एक उपवन के – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

हम सब सुमन एक उपवन के – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

Here is a lovely poem most of us may have read in school days. Unity in diversity is emphasized here. Rajiv Krishna Saxena हम सब सुमन एक उपवन के हम सब सुमन एक उपवन के एक हमारी धरती सबकी, जिसकी मिट्टी में जन्मे हम। मिली एक ही धूप हमें है, सींचे गए …

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मंजिल दूर नहीं है: रामधारी सिंह दिनकर

मंजिल दूर नहीं है – रामधारी सिंह दिनकर

मंजिल दूर नहीं है वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है चिनगारी बन गयी लहू की बूंद गिरी जो पग से, चमक रहे, पीछे मुड़ देखो, चरण चिन्ह जगमग से। शुरू हुई आराध्य भूमि यह, क्लांत नहीं रे …

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