geeta-kavita

वर दे वीणावादिनि – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

वर दे वीणावादिनि - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

Here is an old classic by the famous poet Suryakant Tripathi Nirala. This lovely composition in chaste Hindi is a pleasure to sing loudly for its sheer rhythm and zing. On this Independence Day, this national poem should be shared by all. Rajiv Krishna Saxena वर दे वीणावादिनि वर दे …

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रोते रोते बहल गई कैसे – बेकल उत्साही

रोते रोते बहल गई कैसे - बेकल उत्साही

Bekal Utsaahi (real name Mohammad Shafi Khan) is a well know poet with grass-roots in Hindi heartland. His geets reflects the concerns of farmers and rural folks. He wrote some gazals also though his forte remained geets as the last two lines of the gazal below convey. The poet was …

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नीड़ का निर्माण फिर फिर – हरिवंशराय बच्चन

नीड़ का निर्माण फिर फिर - हरिवंशराय बच्चन

Destruction and construction keep happening in sequence. Inherent will in nature to start rebuilding again after a disaster is over, is amazing indeed. Rajiv Krishna Saxena नीड़ का निर्माण फिर फिर वह उठी आँधी कि नभ में छा गया सहसा अँधेरा, धूल धूसर बादलों न भूमि को इस भाँति घेरा, …

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आँख – सूर्यकुमार पांडेय

आँख - सूर्यकुमार पांडेय

Eyes are our organ that not only introduce us to the world but can be used to convey myriad sentiments. Rajiv Krishna Saxena आँख कुछ की काली कुछ की भूरी कुछ की होती नीली आँख जिसके मन में दुख होता है उसकी होती गीली आँख। सबने अपनी आँख फेर ली …

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पीने का बहाना – हुल्लड़ मुरादाबादी

पीने का बहाना - हुल्लड़ मुरादाबादी

Here is another funny poem of Hullad Muradabadi. Enjoy! Rajiv Krishna Saxena पीने का बहाना हौसले को आज़माना चाहिये मुशकिलों में मुसकुराना चाहिये खुजलियाँ जब सात दिन तक ना रुकें आदमी को तब नहाना चाहिये साँप नेता साथ में मिल जाएँ तो लट्ठ नेता पर चलाना चाहिये सिर्फ चारे से …

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वेदना – बेढब बनारसी

वेदना – बेढब बनारसी

Here is an old poem of well-known hasya-kavi of yester-years Bedhab Banarasi. Utter disasters faced by a suitor while pursuing his beloved. Rajiv Krishna Saxena आह वेदना, मिली विदाई निज शरीर की ठठरी लेकर उपहारों की गठरी लेकर जब पहुँचा मैं द्वार तुम्हारे सपनों की सुषमा उर धारे मिले तुम्हारे …

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हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी

हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी

[learn_more caption=”Introduction: See more”]Here are answers to some burning questions about marriage by Hullad Muradabadi, in the style of Kaka Hathrasi. Rajiv Krishna Saxena[/learn_more] हुल्लड़ और शादी दूल्हा जब घोड़ी चढ़ा, बोले रामदयाल हुल्लड़ जी बतलइए, मेरा एक सवाल मेरा एक सवाल, गधे पर नहीं बिठाते दूल्हे राजा क्यों घोड़ी …

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गड़बड़ झाला – देवेंन्द्र कुमार

गड़बड़ झाला - देवेंन्द्र कुमार

What if things take characters totally unbecoming of them? Chaos indeed! I have made the illustration myself. Rajiv Krishna Saxena गड़बड़ झाला आसमान को हरा बना दें धरती नीली, पेड़ बैंगनी गाड़ी ऊपर, नीचे लाला फिर क्या होगा – गड़बड़ झाला! कोयल के सुर मेंढक बोले उल्लू दिन में आँखों …

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अपराधी कौन – रामधारी सिंह दिनकर

अपराधी कौन - रामधारी सिंह दिनकर

Who are the saboteurs of this Nation? Who are responsible for impeding our growth? In this excerpt from the famous book “Parushuram ki Prateeksha”, Ramdhari Singh Dinkar identifies some culprits. Rajiv Krishna Saxena अपराधी कौन घातक है, जो देवता–सदृश दिखता है लेकिन कमरे में ग़लत हुक्म लिखता है जिस पापी …

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काका और मच्छर – काका हाथरसी

काका और मच्छर – काका हाथरसी

Kaka Hathrasi had to spend a night on Dehradun railway station infested with mosquitos. Read this funny account. Illustration has been done by me. Rajiv Krishna Saxena काका और मच्छर काका वेटिंग रूम में, फँसे देहरा–दून नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून मच्छर चूसें खून, देह घायल कर …

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