Bal Kavita

मचा तहलका – उमा कांत मालवीय

मचा तहलका - उमा कांत मालवीय

A nice little poem for children by Uma Kant Malaviya. Rajiv Krishna Saxena मचा तहलका बैठ पेड़ पर मछली सोचे अब क्या होगा राम, नज़ला हुआ मगर मामा को मुझको हुआ जु.काम। छाँय छाँय कर मेढक जी ने छींका क्या दो बार, पोखर भर में मचा तहलका मेढक जी बीमार। …

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काम हमारे बड़े–बड़े – चिरंजीत

काम हमारे बड़े–बड़े - चिरंजीत

Here is a famous old poem by Charinjit. Little children can also do big deeds. An inspirational poem indeed for children. Rajiv Krishna Saxena हम बच्चे हैं छोटे–छोटे, काम हमारे बड़े–बड़े। आसमान का चाँद हमी ने थाली बीच उतारा है, आसमान का सतरंगा वह बाँका धनुष हमारा है। आसमान के …

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पास हुए हम – रामवचन सिंह

पास हुए हम - रामवचन सिंह

Here is a poem for children reflecting the feeling of joy after passing examination. Rajiv Krishna Saxena पास हुए हम  पास हुए हम, हुर्रे हुर्रे! दूर हुए गम, हुर्रे हुर्रे! रोज नियम से किया परीश्रम और खपाया भेजा, धीरे–धीरे, थोड़ा–थोड़ा हर दिन ज्ञान सहेजा, रुके नहीं हम, हुर्रे हुर्रे! हम …

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आँख – सूर्यकुमार पांडेय

आँख - सूर्यकुमार पांडेय

Eyes are our organ that not only introduce us to the world but can be used to convey myriad sentiments. Rajiv Krishna Saxena आँख कुछ की काली कुछ की भूरी कुछ की होती नीली आँख जिसके मन में दुख होता है उसकी होती गीली आँख। सबने अपनी आँख फेर ली …

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गड़बड़ झाला – देवेंन्द्र कुमार

गड़बड़ झाला - देवेंन्द्र कुमार

What if things take characters totally unbecoming of them? Chaos indeed! I have made the illustration myself. Rajiv Krishna Saxena गड़बड़ झाला आसमान को हरा बना दें धरती नीली, पेड़ बैंगनी गाड़ी ऊपर, नीचे लाला फिर क्या होगा – गड़बड़ झाला! कोयल के सुर मेंढक बोले उल्लू दिन में आँखों …

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काका और मच्छर – काका हाथरसी

काका और मच्छर – काका हाथरसी

Kaka Hathrasi had to spend a night on Dehradun railway station infested with mosquitos. Read this funny account. Illustration has been done by me. Rajiv Krishna Saxena काका और मच्छर काका वेटिंग रूम में, फँसे देहरा–दून नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून मच्छर चूसें खून, देह घायल कर …

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हाथी दादा – रामानुज त्रिपाठी

हाथी दादा - रामानुज त्रिपाठी

Here is a nice little poem for children written by Ramanuj Tripathi. I have done the illustration myself. Rajiv Krishna Saxena हाथी दादा सूट पहन कर हाथी दादा चौराहे पर आए, रिक्शा एक इशारा कर के वे तुरंत रुकवाए। चला रही थी हाँफ–हाँफ कर रिक्शा एक गिलहरी बोले हाथी दादा …

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बिल्ली मौसी चलीं बनारस – सूर्य कुमार पांडेय

बिल्ली मौसी - सूर्य कुमार पांडेय

Here is a small poem by Surya Kumar Pandey that should certainly entice little children. Illustration is mine. Rajiv Krishna Saxena बिल्ली मौसी चलीं बनारस बिल्ली मौसी चलीं बनारस लेकर झोला डंडा गंगा तट पर मिला उसे तब मोटा चूहा पंडा चूहा बोला बिल्ली मौसी चलो करा दूँ पूजा मुझ …

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रसगुल्ला

रसगुल्ला

Here is a nice poem that very young school kids chant. I learnt it from my children when they were in kindergarten (KG). I do not know who wrote it. Artwork is mine though – Rajiv Krishna Saxena रसगुल्ला आओ भाई आओ! क्यों भाई क्यों? इक चीज मिलेगी! क्या भाई …

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मछली जल की रानी है

मछली जल की रानी है

Another nursery rhyme. I learnt first four lines from my children when they were in Kindergarten (KG) and made up the rest. Artwork is also mine. Please also read another similar poems for children Kachhua Jal Ka Raja Hai, and Maindhak Jal Ka Rajkumar.  Rajiv Krishna Saxena मछली जल की …

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