Frustration Poems

क्या करूँ संवेदना ले कर तुम्हारी – हरिवंश राय बच्चन

क्या करूँ संवेदना ले कर तुम्हारी – हरिवंश राय बच्चन

Does sympathy mean anything or do the kind words said in sympathy essentially lack any substance? Here Harivansh Rai Bachchan poses this rather uncomfortable question. Rajiv Krishna Saxena क्या करूँ संवेदना ले कर तुम्हारी क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी? क्या करूँ? मैं दुखी जब-जब हुआ संवेदना तुमने दिखाई, मैं कृतज्ञ …

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कब बरसेगा पानी – बेकल उत्साही

कब बरसेगा पानी - बेकल उत्साही

With the start of hot summer, we all wait for rains. If rains get delayed or fail, life suffers badly; especially so in villages. Here is an excerpt from a lovely poem by Bekal Utsahi, wondering when would it rain. Rajiv Krishna Saxena कब बरसेगा पानी सावन भादौं साधु हो …

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भूले हुओं का गीत – गिरिजा कुमार माथुर

भूले हुओं का गीत – गिरिजा कुमार माथुर

An old flame suddenly come across after decades. It can be uncomfortable and the only way to get through the situation is to pretend that it never happened. Here is a famous poem of Girija Kumar Mathur. Rajiv Krishna Saxena भूले हुओं का गीत बरसों के बाद कभी हम तुम …

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यह बच्चा कैसा बच्चा है – इब्ने इंशा

यह बच्चा कैसा बच्चा है – इब्ने इंशा

Here is a very moving poem of Ibne Insha. How after all the society can be that insensitive to the plight of a child in destitution? Rajiv Krishna Saxena यह बच्चा कैसा बच्चा है यह बच्चा कैसा बच्चा है यह बच्चा काला-काला-सा यह काला-सा, मटियाला-सा यह बच्चा भूखा-भूखा-सा यह बच्चा …

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याद आये – किशन सरोज

याद आये – किशन सरोज

Remembering the love of his life, here is a lovely poem of Kishan Saroj. Rajiv Krishna Saxena याद आये याद आये फिर तुम्हारे केश मन–भुवन में फिर अंधेरा हो गया पर्वतों का तन घटाओं ने छुआ, घाटियों का ब्याह फिर जल से हुआ; याद आये फिर तुम्हारे नैन, देह मछरी, …

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उस पगली लड़की के बिन – कुमार विश्वास

उस पगली लड़की के बिन – कुमार विश्वास

Kumar Vishwas is an emerging political face in the country, but he is a popular poet before that. Here is one of his poems that depicts the frustration of love in a very Indian context. Rajiv Krishna Saxena उस पगली लड़की के बिन मावस कि काली रातों में, दिल का …

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तेरे बिन – रमेश गौड़

तेरे बिन – रमेश गौड़

Love that graced life is now gone but what does it still means to me? Here is a poem that has all the right metaphors. Rajiv Krishna Saxena तेरे बिन जैसे सूखा ताल बच रहे या कुछ कंकड़ या कुछ काई, जैसे धूल भरे मेले में चलने लगे साथ तन्हाई, …

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तेरा राम नहीं – निदा फ़ाज़ली

तेरा राम नहीं – निदा फ़ाज़ली

We all live our lives and the fact is that no body’s experiences can really help us in real sense. Here is a reflection on these realities. A lovely poem by Nida Fazli. Rajiv Krishna Saxena तेरा राम नहीं तेरे पैरों चला नहीं जो धूप छाँव में ढला नहीं जो …

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तन बचाने चले थे – राम अवतार त्यागी

तन बचाने चले थे – राम अवतार त्यागी

In life we pursue so many things but at times we lose sight of things that really deserve our attention. Rajiv Krishna Saxena तन बचाने चले थे तन बचाने चले थे कि मन खो गया एक मिट्टी के पीछे रतन खो गया। घर वही, तुम वही, मैं वही, सब वही …

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सूना घर – दुष्यंत कुमार

An empty house… pleasant memories of the now-gone home-maker. Memories of laughter and the jingling of bangles… how does one come to terms with this kind of emptiness? Rajiv Krishna Saxena सूना घर सूने घर में किस तरह सहेजूँ मन को। पहले तो लगा कि अब आईं तुम, आकर अब …

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