Poems

विज्ञान और मानव मन (कुरुक्षेत्र से) – रामधारी सिंह दिनकर

विज्ञान और मानव मन (कुरुक्षेत्र से) - रामधारी सिंह दिनकर

While man has made huge progress in science and has conquered Nature, his heart often revolts and yearns for peace in simple and natural living. Here is an excerpt from sixth chapter of the famous epic ‘Kurukshetra’ by Shri Ramdhari Singh Dinkar. Rajiv Krishna Saxena विज्ञान और मानव मन (कुरुक्षेत्र …

Read More »

वे और तुम – जेमिनी हरियाणवी

वे और तुम – जेमिनी हरियाणवी

Here is a comparison between a lover and a neta, love and politics!  Rajiv Krishna Saxena वे और तुम मुहब्बत की रियासत में सियासत जब उभर जाए प्रिये तुम ही बतलाओ जिंदगी कैसे सुधर जाए चुनावों में चढ़े हैं वे निगाहों में चढ़ी हो तुम चढ़ाया है तुम्हें जिसने कहीं …

Read More »

कुछ न हम रहे – श्रीकृष्ण तिवारी

कुछ न हम रहे - श्रीकृष्ण तिवारी

We often have regrets about not achieving much in life. Ultimately it dawns on us that we were nothing special and just lived a life as everyone else does. Rajiv Krishna Saxena कुछ न हम रहे अपने घर देश में बदले परिवेश में आँधी में उड़े कभी लहर में बहे …

Read More »

बाल कविता – सीखा हमने – परशुराम शुक्ल

बाल कविता - सीखा हमने - परशुराम शुक्ल

What do we learn from Nature?  From earth and sun?  Here Parshuram Shukl tells all children. Rajiv Krishna Saxena बाल कविता – सीखा हमने धरती से सीखा है हमने सबका बोझ उठाना और गगन से सीखा हमने ऊपर उठते जाना सूरज की लाली से सीखा जग आलोकित करना चंदा की …

Read More »

नई सहर आएगी – निदा फाज़ली

Here are some more thought provoking verses from Nida Fazli. Rajiv Krishna Saxena नई सहर आएगी रात के बाद नए दिन की सहर आएगी दिन नहीं बदलेगा तारीख़ बदल जाएगी हँसते–हँसते कभी थक जाओ तो छुप कर रो लो यह हँसी भीग के कुछ और चमक जाएगी जगमगाती हुई सड़कों …

Read More »

कौन तुम मेरे हृदय में? – महादेवी वर्मा

कौन तुम मेरे हृदय में? - महादेवी वर्मा

Here is excerpt from a famous poem of Mahadevi Verma. Love takes root in the heart and suddenly the world looks so different! Rajiv Krishna Saxena कौन तुम मेरे हृदय में कौन मेरी कसक में नित मधुरता भरता अलक्षित? कौन प्यासे लोचनों में घुमड़ घिर झरता अपरिचित? स्वर्ण सपनों का …

Read More »

गाल पे काटा – ज़िया उल हक़ कासिमी

Here is a funny poem. Enjoy! Rajiv Krishna Saxena गाल पे काटा माशूक जो ठिगना है तो आशिक भी है नाटा इसका कोई नुकसान, न उसको कोई घाटा। तेरी तो नवाज़िश है कि तू आ गया लेकिन ऐ दोस्त मेरे घर में न चावल है न आटा। तुमने तो कहा …

Read More »

बैरागी भैरव – बुद्धिनाथ मिश्र

बैरागी भैरव - बुद्धिनाथ मिश्र

“Haril” is a bird that always keep clutching a wooden twig and never leaves it. This is a metaphore of strong attachments we develop in the life to worldly wealth and events. Worldly events however are beyond our control and we invariably age as we experience the life. The wealth …

Read More »

आप मिले तो – दिनेश प्रभात

We meet hundreds of people in our daily life, but then we meet a special one, how changes our outlook and the life suddenly looks beautiful! ∼ Rajiv Krishna Saxena आप मिले तो आप मिले तो लगा जिंदगी अपनी आज निहाल हुई मन जैसे कश्मीर हुआ है आँखें नैनीताल हुईं। …

Read More »

अंग्रेजी प्रेम – बरसाने लाल चतुर्वेदी

There is a famous bhajan “Yashoda Hari Paalne Jhulave”. The poem below is a parody of this bhajan it seems. Barsane Lal Ji is making gentle fun of people who have great love for English on cost of their own mother tongue. Rajiv Krishna Saxena अंग्रेजी प्रेम जसोदा हरि अंग्रेजी …

Read More »