I have the greatest respect for people who earn their bread everyday. I mean the …
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6 days ago
कौन यह तूफ़ान रोके – हरिवंश राय बच्चन
Given a choice, we all would like to live a peaceful life. But peace eludes us. There are stretches …
3 weeks ago
कई दिनों तक चूल्हा रोया- नागार्जुन
This poem is of the era when food scarcity and draughts were chronic problems in India. The joy of g…
4 weeks ago
हल्दीघाटी: युद्ध – श्याम नारायण पाण्डेय
In mid 1500s Akbar the Mughal emperor of India, in his bid to consolidate his empire, had entered in…
December 8, 2024
कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहो – रमानाथ अवस्थी
Life is to be shared. It becomes very boring if it is not. Our daily ordeals and challenges as well …
November 25, 2024
लो वही हुआ – दिनेश सिंह
In our long history, we Indians have seen many oppressive kings and administrations. Here is a beaut…
November 22, 2024
पीथल और पाथल – कन्हैयालाल सेठिया
You may have read Shyam Narayan Pandey’s classic epic “Haldighati”. Three excerpts from that great w…
November 13, 2024
मदारी का वादा – राजीव कृष्ण सक्सेना
I have the greatest respect for people who earn their bread everyday. I mean the people like street …
November 3, 2024
इधर भी गधे हैं‚ उधर भी गधे हैं – ओम प्रकाश आदित्य
Donkeys are every where, so says Om Prakish Aditya. Horses do not get even grass but donkeys are get…
November 1, 2024
नवंबर की दोपहर – धर्मवीर भारती
Here is a lovely poem of Dr. Dharamvir Bharati. Rajiv Krishna Saxena नवंबर की दोपहर अपने हलके–फुलके …
October 25, 2024
आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे – नरेंद्र शर्मा
There are times when lovers realize that their separation is inevitable and that they would never ev…
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पीथल और पाथल – कन्हैयालाल सेठिया
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रे प्रवासी जाग – रामधारी सिंह दिनकर
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कौन यह तूफ़ान रोके – हरिवंश राय बच्चन
Given a choice, we all would like to live a peaceful life. But peace eludes …
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कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहो – रमानाथ अवस्थी
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आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे – नरेंद्र शर्मा
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बात बात में – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
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शक्ति और क्षमा – रामधारी सिंह दिनकर
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इधर भी गधे हैं‚ उधर भी गधे हैं – ओम प्रकाश आदित्य
Donkeys are every where, so says Om Prakish Aditya. Horses do not get even grass …
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बिन दाढ़ी मुख सून – काका हाथरसी
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विज्ञान विद्यार्थी का प्रेम गीत – धर्मेंद्र कुमार सिंह
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नाम बड़े हस्ताक्षर छोटे – काका हाथरसी
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मुझको सरकार बनाने दो – अल्हड़ बीकानेरी
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ध्यान: मेरे कुछ अनुभव – राजीव कृष्ण सक्सेना
I started dhyan (meditation) almost 38 years ago. In this short article, I have briefly …
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क्या होगा हिन्दी का – राजीव कृष्ण सक्सेना
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प्रार्थना की सफलता के गुर – राजीव कृष्ण सक्सेना
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माइग्रेन सिर दर्द का इलाज – राजीव कृष्ण सक्सेना
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यादें भईया (डॉ धर्मवीर भारती ) की – डॉ वीरबाला (बहन)
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कौन यह तूफ़ान रोके – हरिवंश राय बच्चन
Given a choice, we all would like to live a peaceful life. But peace eludes …
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कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहो – रमानाथ अवस्थी
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लो वही हुआ – दिनेश सिंह
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मदारी का वादा – राजीव कृष्ण सक्सेना
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आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे – नरेंद्र शर्मा
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कुछ मैं कहूं कुछ तुम कहो – रमानाथ अवस्थी
Life is to be shared. It becomes very boring if it is not. Our daily …
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आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे – नरेंद्र शर्मा
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जाने क्या हुआ – ओम प्रभाकर
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ठंडा लोहा – धर्मवीर भारती
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मेरे सपने बहुत नहीं हैं – गिरिजा कुमार माथुर