I recently heard this amazing poem recited by Kavi Shree Satyanarayan Sattan Ji in a kavi-sammelan on “Chambal TV”. I was impressed by this poem and immediately wrote it down to share with you. Here is a down-to-earth evaluation of our Prime Minister at the grass-root level, without naming him! You can listen to this forceful recitation here. Enjoy! Rajiv Krishna Saxena
चायवाला एक नारा आया हर हर वो वो घर घर वो वो ऐसा सुन कर नारा, परेशान हो गया एक नेता बेचारा बोला यह चाय वाला ? यह प्रधान मंत्री बनेगा ? यह रास्ते का पत्थर, हिमालय बन कर तनेगा ? हमने कहा, नहीं हुजूर ! यह तो अपमान उठाने को हुआ है पैदा और तुम ले चुके सम्मान की ठेकेदारी अनगिनित दाग खा कर भी सफेद हो अब तक आड़ मैं तुमने सदा अछूती बाजी मारी !तुमने निर्माण दुल्हनियाँ के गहने बेच दिए माँ का शृंगार नोच, खुद का तन सजाया है तुम ने हर बच्चे से माता का दूध छीना है तुमने हर भूखे का निवाला छीन खाया है ! नैनसुख जी! नैनसुख जी! नैनसुख जी!! तुम्हें किस नाम से पुकारें हम, आप तो स्वर्ग से उतरे, खुदा के बंदे हैं पर इन आँख वालों का कुछ बयान है यूं कि यहाँ मशालची सब अंधे हैं ! हुजूर आपने ठीक फरमाया माई बाप, आपने ठीक फरमाया हुजूर, आपने ठीक फरमाया यह चाय वाला है जी हाँ हुजूर, यह चाय वाला है बचपन से इसको अभावों ने पाला है इसके पास आत्मविश्वास की पूंजी है, आत्मा में बल है पुरुषार्थ धनुष लिए अर्जुन सा अटल है यह राजनीति दलदल का खिलता हुआ कमल है इसके पास एकात्म मानवतावाद का बल है मुश्किल से आपके मुह पहुंचाने वाला है जी हाँ हुजूर, यह चाय वाला हैहुजूर ये चाय बेचता है, सम्मान नहीं बेचता स्वाभिमानी है यह, स्वाभिमान नहीं बेचता स्वार्थ के लिए, यह खानदान नहीं बेचता और हुजूर आप की तरह, यह हिंदुस्तान नहीं बेचता! तूफान से लड़ता, आग में मुस्काता है जनमत का संबल ले बढ़ता ही जाता है दिन दुखी पीड़ित इंसानों से जुड़ गया और भरत माता के लिए माँ से बिछुड़ गया! आने वाले कल के लिए दीन दुखी दुर्बल के लिए वो बन गया उजाला है जी हाँ हुजूर ये चायवाला है!! सत्य नारायण सत्तन
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