जसोदा हरि पालने झुलावे - सूरदास

जसोदा हरि पालने झुलावे – सूरदास

On the auspicious occasion of Janmashtami, here are two short poems of Surdas on baby Krishna. Rajiv Krishna Saxena

जसोदा हरि पालनैं झुलावै

जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावै, दुलराइ मल्हावै,
जोइ-जोइ कछु गावै॥

मेरे लाल कौं आउ निंदरिया,
काहैं न आनि सुवावै।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै,
तोकौं कान्ह बुलावै॥

कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं,
कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि,
करि-करि सैन बतावै॥

इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि,
जसुमति मधुरैं गावै।
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ,
सो नँद-भामिनि पावै॥

गोपाल झूलन

पालनैं गोपाल झुलावैं।
सुर मुनि देव कोटि तैंतीसौ
कौतुक अंबर छावैं ॥१॥

जाकौ अन्त न ब्रह्मा जाने,
सिव सनकादि न पावैं।
सो अब देखो नन्द जसोदा,
हरषि हरषि हलरावैं ॥२॥

हुलसत हँसत करत किलकारी
मन अभिलाष बढावैं।
सूर श्याम भक्तन हित कारन
नाना भेष बनावै ॥३॥

~ सूरदास

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