I wrote this nursery rhyme to complement the poem “मछली जल की रानी है “. further, please read a third poem “मेंढक जल का राजकुमार ” in the same series. Art work is mine – Rajiv Krishna Saxena
कछुआ जल का राजा है
कछुआ जल का राजा है,
कितना मोटा ताजा है।
हाथ लगाओ कूदेगा,
बाहर निकालो ऊबेगा।
सबको डांट लगाएगा,
घर का काम कराएगा।
बच्चों के संग खेलेगा,
पूरी मोटी बेलेगा।
चाट पापड़ी खाएगा,
ऊंचे सुर में गाएगा।
∼ राजीव कृष्ण सक्सेना (Jan 24, 2008)
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