क्या करूँ अब क्या करूँ - राजीव कृष्ण सक्सेना

क्या करूँ अब क्या करूँ – राजीव कृष्ण सक्सेना

A poem showing what goes on in the mind of a one and a half year old little boy. Rajiv Krishna Saxena

क्या करूँ अब क्या करूँ

माम को मैं तंग करूँ
या डैड से ही जंग करूँ
मैं दिन रहे सोता रहूँ
फिर रात भर रोता रहूँ

पेंट बुक दे दो जरा तो
रंग कागज पर भरूँ
या स्काइप को ही खोल दो
तो बात नानी से करूँ

मैं बाल खीचूं माम के
की ले चलो बाहर मुझे
या झूल जाऊं मैं गले से
कोई ना पेपर पढ़े

दूध पीना मैं न चाहूँ
चाय मुझको दो जरा
या जूस भी पी जाऊँगा
पर लाल कप मे होे भरा

मैं मेज पर चढ़ कर खड़ा हूँ
कर रहे जोे छोड़ दो
देखो मुझे न गिर पड़ूँ
लो यह खिलौना जोड़ दो

बात सुन लो, मुझे देखो
सभी गर्दन मोड़ के
अब दौड़ कर मुझको उठा लो
गोद में सब छोड़ के

~ राजीव कृष्ण सक्सेना  (24 Jan 2016)

लिंक्स:

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