This poem is in the series of two earlier poems, “मछली जल की रानी है” and “कछुआ जल का राजा है“. Now this one is about the Frog being the prince of the waters! Illustration by Svarn Sinha (age 8). I hope children like this poem. Rajiv Krishna Saxena
मेंढक जल का राजकुमार
मेंढक जल का राजकुमार
मेरा तो पक्का है यार
हरदम मुझसे कहता रहता
ला दो मुझको लड्डू चार
लड्डू ही उसके मन भाता
नहीं और कुछ भी वह खाता
गरम जलेबी अगर दिखाओ
छपक कूद पानी में जाता
इक दिन उसने मुझको देखा
मैं खाता था पानी पूरी
झपट समझ कर लड्डू खाना
मेंढक जी की थी मजबूरी
हाय हाय कितनी है मिरची
उछल कूद कर वह चिल्लाया
अब लड्डू का नाम न लूंगा
बहुत बहुत मन में पछताया
~ राजीव कृष्ण सक्सेना
October 5, 2022
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