Maharana Pratap
संदेश यही, उपदेश यही, कहता है अपना देश यही, वीरो दिखला दो आत्म त्याग,राणा का है आदेश यही

प्रताप की प्रतिज्ञा – श्याम नारायण पांडेय

Mansingh, a Rajput, ( “Maan” in first line of third stanza) had aligned with Emperor Akbar of Delhi and had attacked Rana Pratap’s kingdom of Mewar. Rana Pratap kept fighting and resisting this assault. His velour and that of his legendry horse “Chetak” has been immortalized by famous poet Shyam Narayan Pandey in the famous epic “Haldighati”. Here is a small excerpt where Rana exhorts his solders To fight and defeat. Please also read other poems from Haldighati in this collection. Rajiv Krishna Saxena

प्रताप की प्रतिज्ञा

गिरि अरावली के तरु के थे
पत्ते–पत्ते निष्कंप अचल
बन बेलि–लता–लतिकाएं भी
सहसा कुछ सुनने को निश्चल

वह बोल रहा था गरज–गरज
रह–रह कर में असि चमक रही
रव वलित गरजते बादल में
मानो बिजली थी दमक रही

वह ‘मान’ महा–अभिमनी है
बदला लेगा, ले बल अपार
कटि कस लो अब मेरे वीरो
मेरी भी उठती है कटार

संदेश यही, उपदेश यही
कहता है अपना देश यही
वीरो दिखला दो आत्म त्याग
राणा का है आदेश यही

जब तक स्वतंत्र यह देश नहीं
कट सकते हैं नख–केश नहीं
मरने, कटने का क्लेश नहीं
कम हो सकता आवेश नहीं

परवाह नहीं, परवाह नहीं
मैं हूं फकीर, अब शाह नहीं
मुझको दुनियाँ की चाह नहीं
सह सकता मन की आह नहीं

यह तो जननी की ममता है
जननी भी सिर पर हाथ न दे
मुझको इसकी परवाह नहीं
चाहे कोई भी साथ न दे

विष बीज न मैं बोने दूंगा
अरि को न कभी सोने दूंगा
पर कभी कलंकित माता का
मैं दूध नहीं होने दूंगा

~ श्याम नारायण पांडेय

लिंक्स:

 

Check Also

In the midst of noise and extreme disarray, I am the voice of heart

तुमुल कोलाहल कलह में मैं हृदय की बात रे मन – जयशंकर प्रसाद

In times of deep distress and depression, a ray of hope and optimism suddenly emerges …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *