Early morning
ये प्रातः की सुख­बेला है, धरती का सुख अलबेला है, नई ताज़गी नई कहानी, नया जोश पाते हैं प्राणी।

सुबह – श्री प्रसाद

Here is a simple and very sweet poem that many have read in school days. Lots of nostalgia here! Rajiv Krishna Saxena

सुबह

सूरज की किरणें आती हैं,
सारी कलियाँ खिल जाती हैं,
अंधकार सब खो जाता है,
सब जग सुंदर हो जाता है।

चिड़ियाँ गाती हैं मिलजुल कर,
बहते हैं उनके मीठे स्वर,
ठंडी ढंडी हवा सुहानी,
चलती है जैसे मस्तानी।

ये प्रातः की सुख­बेला है,
धरती का सुख अलबेला है,
नई ताज़गी नई कहानी,
नया जोश पाते हैं प्राणी।

खो देते हैं आलस सारा,
और काम लगता है प्यारा,
सुबह भली लगती उनको,
मेहनत प्यारी लगती जिनको।

मेहनता सबसे अच्छा गुण है,
आलस बहुत बड़ा दुर्गुण है,
अगर सुबह भी अलसा जाए,
तो क्या जग सुंदर हो पाए।

~ श्री प्रसाद

लिंक्स:

 

Check Also

Reject me or accept me O' Lord

ठुकरा दो या प्यार करो – सुभद्रा कुमारी चौहान

Here is an old classic from Subhdra Kumari Chauhan. Most of us have read this …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *