आँचल बुनते रह जाओगे – राम अवतार त्यागी

You may have heard that song filmed on Amitabh Bachchan – “Apni to jaise taise, thodi aise ya vaise, kat jaayegee – aapka kya hoga janaabe aali”. This poem has similar sentiments of a detached soul not too interested in this world. Rajiv Krishna Saxena

आँचल बुनते रह जाओगे

मैं तो तोड़ मोड़ के बन्धन,
अपने गाँव चला जाऊँगा,
तुम आकर्षक सम्बंधों का,
आँचल बुनते रह जाओगे।

मेला काफी दर्शनीय है
पर मुझको कुछ जमा नहीं है,
इन मोहक कागजी खिलौनों में
मेरा मन रमा नहीं है।
मैं तो रंग मंच से अपने
अनुभव गाकर उठ जाऊँगा
लेकिन, तुम बैठे गीतों का
गुँजन सुनते रह जाओगे।

आँसू नहीं फला करते है,
रोने वाले क्यों रोता है?
जीवन से पहले पीड़ा का
शायद अन्त नहीं होता है।
मै तो किसी सर्द मौसम की
बाहों में मुरझा जाऊँगा
तुम केवल मेरे फूलों को
गुमसुम चुनते रहे जाओगे।

मुझको मोह जोड़ना होगा,
केवल जलती चिंगारी से।
मुझसे सन्धि नहीं हो पाती
जीवन की हर लाचारी से।
मैं तो किसी भँवर के कन्धे
चढ़कर पार उतर जाऊँगा,
तट पर बैठे इसी तरह से
तुम सिर धुनते रह जाआगे।

∼ राम अवतार त्यागी

लिंक्स:

Check Also

अंधा युग युद्धान्त से प्रभु की मृत्यु तक

अंधा युग (शाप पाने से प्रभु मृत्यु तक) – धर्मवीर भारती

The great war of Mahabharata left a permanent scar on the Indian psyche. The politics, …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *