Some things in life give us immense satisfaction. Here is an excerpt from a poem written by the well known poet Shri Ramdarash Mishra. Rajiv Krishna Saxena
आप आये पास तो अच्छा लगा
आज धरती पर झुका आकाश तो अच्छा लगा,
सिर किये ऊँचा खड़ी है घास तो अच्छा लगा।
आज फिर लौटा सलामत राम कोई अवध में,
हो गया पूरा कड़ा बनवास तो अच्छा लगा।
था पढ़ाया माँज कर बरतन घरों में रात दिन,
हो गया बुधिया का बेटा पास तो अच्छा लगा।
लोग यों तो रोज ही आते रहे, जाते रहे,
आज लेकिन आप आये पास तो अच्छा लगा।
रात कितनी भी घनी हो, सुबह आएगी ज़रूर,
लौट आया आपका विश्वास तो अच्छा लगा।
आ गया हूँ बाद मुद्दत के शहर से गाँव में,
आज देखा चाँदनी का हास तो अच्छा लगा।
दोस्तों की दाद तो मिलती ही रहती है सदा,
आज दुश्मन ने कहा शाबाश तो अच्छा लगा।
∼ डॉ. रामदरश मिश्र
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