एक आशीर्वाद – दुष्यंत कुमार

एक आशीर्वाद – दुष्यंत कुमार

There is some thing very moving about this poem. Older generation gently exhorting and blessing the child who is learning to walk – Rajiv Krishna Saxena

एक आशीर्वाद

जा तेरे स्वप्न बड़े हों।

भावना की गोद से उतर कर
जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।

चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये
रूठना मचलना सीखें।

हँसें
मुस्कुराऐं
गाऐं।
हर दीये की रोशनी देखकर ललचायें
उँगली जलायें।

अपने पाँव पर खड़े हों।
जा तेरे स्वप्न बड़े हों।

∼ दुष्यंत कुमार

लिंक्स:

 

Check Also

A message form the motherland for those who left the country

रे प्रवासी जाग – रामधारी सिंह दिनकर

There is always nostalgia about the country we left long ago. Even as we wade …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *