Bible says that he who increases knowledge, increases sorrow. Faith in God is a great savior of humans and gives then courage to go through life. Post-modern man with his education and rational mind has lost this faith. Bereft of this faith, he is unable to find meaning in his life and living. This great dilemma that used to be characteristic of people in developed world, is slowly creeping into Indian mind that used to be a strong citadel of tradition and religious belief. Here is a definition of this dilemma. Please also read the related article “In Envy of Faith” on this website. Rajiv Krishna Saxena
क्योंकि अब हमें पता है
कितने भाग्यशाली हैं वे लोग
जो आंखें मूंद कर
हाथ जोड़ कर
सुनते हैं कथा
कह देते हैं अपनी सब व्यथा
मांग लेते हैं वरदान
पालनहारे से।
और हम
पढ़ कर
चिंतन मनन कर
हुए पंडित
नहीं कर पाते यह सब
क्योंकि अब हमें पता है
नहीं है कोई पालनहारा।
अनायास ही उपजे हैं हम
बिना किसी ध्येय के
इस धरती पर
और क्योंकि अब
हम समझते हैं सब
पाते नहीं हैं कोई प्रयोजन
जीवन जीने का
पुरुषार्थ करने का
पर कहें किससे
कि हमे उठा ले
क्योंकि अब तो हमें पता है
कोई नहीं है पालनहारा
हमारा रखवाला
और बिना प्रयोजन
बेमतलब सा है
यह जीवन हमारा।
∼ राजीव कृष्ण सक्सेना
लिंक्स:
- कविताएं: सम्पूर्ण तालिका
- लेख: सम्पूर्ण तालिका
- गीता-कविता: हमारे बारे में
- गीता काव्य माधुरी
- बाल गीता
- प्रोफेसर राजीव सक्सेना