Destruction is necessary for new creation. Latter cannot happen in absence of the former. Gajanan Madhav Muktibodh, the celebrated, famous and path breaking Hindi poet here prays to the God of destruction. – Rajiv Krishna Saxena
नाश देवता
घोर धनुर्धर‚ बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा‚
तेरी प्रत्यंचा का कंपन सूनेपन का भार हरेगा।
हिमवत‚ जड़‚ निःस्पंद हृदय के अंधकार में जीवन भय है।
तेरे तीक्षण बाण की नोकों पर जीवन संचार करेगा।
तेरे क्रुद्ध वचन‚ बाणों की गति से अंतर में उतरेंगे‚
तेरे क्षुब्ध हृदय के शोले‚ उर ही पीड़ा में ठहरेंगे।
कोपित तेरा अधर संस्फुरण‚ उर में होगा जीवन वेदन‚
रुग्ण दृगों की चमक बनेगी‚ आत्म ज्योति की किरण सचेतन।
सभी उरों के अंधकार में एक तड़ित वेदना उठेगी‚
तभी सृजन की बीज वृद्धि हित‚ जड़ावरण की मही फटेगी।
शत शत बाणों से घायल हो‚ बढ़ा चलेगा जीवन अंतर‚
दंशन की चेतन किरणों के द्वारा काली अमा हटेगी।
हे रहस्यमय‚ ध्वंस–महाप्रभु‚ ओ जीवन के तेज सनातन‚
तेरे अग्निकणों से जीवन‚ तीक्ष्ण बाण से नूतन सर्जन।
हम घुटने पर‚ नाश देवता! बैठ तुझे करते हैं वंदन‚
मेरे सिर पर एक पैर रख‚ नाप तीन जग तू असीम बन।
~ गजानन माधव मुक्तिबोध
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