Which path should we follow in our lives? That is the eternal question we all keep asking. Should we be prudent and follow the beaten path or just follow our conscience? Or should we start a revolution? But serious doubts are associated with all these paths. So what path should we follow? The question remains enigmatic without a certain answer. Here is a lovely poem depicting this dilemma. Rajiv Krishna Saxena
पथ-हीन
कौन सा पथ है?
मार्ग में आकुल–अधीरातुर बटोही यों पुकारा
कौन सा पथ है?
‘महाजन जिस ओर जाएं’ – शास्त्र हुँकारा
‘अंतरात्मा ले चले जिस ओर’ – बोला न्याय पंडित
‘साथ आओ सर्व–साधारण जनों के’ – क्रांति वाणी।
पर महाजन–मार्ग–गमनोचित न संबल है‚ न रथ है‚
अन्तरात्मा अनिश्चय–संशय–ग्रसित‚
क्रांति–गति–अनुसरण–योग्या है न पद सामर्थ्य।
कौन सा पथ है?
मार्ग में आकुल–अधीरातुर बटोही यों पुकारा
कौन सा पथ है?
∼ भारत भूषण अग्रवाल
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