फिर क्या होगा – बालकृष्ण राव

फिर क्या होगा – बालकृष्ण राव

Curosity of little children knows no bound. Here is a well known poem of Balkrishna Rao. The child here is curious about the time sequence and where would it all end. Rajiv Krishna Saxena

फिर क्या होगा

फिर क्या होगा उसके बाद?
उत्सुक हो कर शिशु ने पूछा
माँ, क्या होगा उसके बाद?
‘रवि से उज्ज्वल शशि से सुंदर
नव किसलयदल से कोमलतर
वधू तुम्हारी घर आएगी
उस विवाह उत्सव के बाद’

पल भर मुख पर स्मित की रेखा
खेल गई, फिर माँ ने देखा
कर गंभीर मुखाकृति शिशु ने
फिर पूछा ‘क्या उसके बाद?’

‘फिर नभ के नक्षत्र मनोहर
स्वर्ग लोक से उतर–उतरकर
तेरे शिशु बनने को, मेरे
घर आएँगे उसके बाद।’

‘मेरे नए खिलौने लेकर
चले न जाएँ वे अपने घर।’
चिंतित हो कह उठा किंतु फिर
पूछा शिशु ने, ‘उसके बाद?’

अब माँ का जी ऊब चुका था
हष–श्रंति में डूब चुका था
बोली, ‘फिर में बूढ़ी होकर
मर जाऊंगी उसके बाद’

यह सुन कर भर आए लोचन,
किंतु पोंछ कर उन्हें उसी क्षण,
सहज कुतूहल से फिर शिशु ने
पूछा, ‘माँ क्या उसके बाद?’

× × × × × × × × × × × ×

कवि को बालक ने सिखलाया,
सुख दुख हैं पल भर की माया,
है अनंत का तत्व प्रश्न यह,
‘फिर क्या होगा उसके बाद?’

~ बालकृष्ण राव

लिंक्स:

 

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One comment

  1. The kid probably didn’t even know what dying means…when the mom says, I will get old and die…he/she innocently asks again the same question…

    But, interestingly that’s exactly where Krishna begins His discourse in chp 2…He says, “We will be reborn again with a new body”

    Dehinosmin yathaa dehe kaumaaram yauvanam jaraa l
    tathaa dehanantarah praaptih dheerah tatra na muhyati ll 2.13 ॥

    देहिनोsस्मिन् यथा देहे कौमारं यौवनं जरा ।
    तथा देहान्तर प्राप्तिः धीरः तत्र न मुह्यति ॥ २.१३ ॥

    Indeed, the poet alludes to this in his concluding verse with “this is the unending question of this universe”…vishwaka anant prashna

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