राही के शेर - बालस्वरूप राही

राही के शेर – बालस्वरूप राही

Baal Swaroop Rahi is a very well-known poet of Hindi and Urdu. Here are some selected verses. Rajiv Krishna Saxena

राही के शेर

किस महूरत में दिन निकलता है,
शाम तक सिर्फ हाथ मलता है।

दोस्तों ने जिसे डुबोया हो,
वो जरा देर में संभलता है।

हमने बौनों की जेब में देखी,
नाम जिस चीज़ का सफ़लता है।

तन बदलती थी आत्मा पहले,
आजकल तन उसे बदलता है।

एक धागे का साथ देने को,
मोम का रोम रोम जलता है।

काम चाहे ज़ेहन से चलता हो,
नाम दीवानगी से चलता है।

उस शहर में भी आग की है कमी,
रात दिन जो धुआँ उगलता है।

उसका कुछ तो इलाज़ करवाओ,
उसके व्यवहार में सरलता है।

सर्फ दो चार सुख उठाने को,
आदमी बारहा फिसलता है।

याद आते हैं शेर राही के,
दर्द जब शायरी में ढलता है।

∼ बालस्वरूप राही

लिंक्स:

Check Also

Handful important events are the essence of human life!

इक पल है नैनों से नैनों के मिलने का – राजीव कृष्ण सक्सेना

If we look back at our lives we find that there were some moments of …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *