Here are some touching verses from Kunwar Bechain. They point out to the inadequacies in all of us. Rajiv Krishna Saxena
टल नही सकता
मैं चलते – चलते इतना थक गया हूँ, चल नही सकता
मगर मैं सूर्य हूँ, संध्या से पहले ढल नही सकता
कोई जब रौशनी देगा, तभी हो पाउँगा रौशन
मैं मिटटी का दिया हूँ, खुद तो मैं अब जल नही सकता
जमाने भर को खुशियों देने वाला रो पड़ा आखिर
वो कहता था मेरे दिल में कोई गम पल नही सकता
वो हीरा है मगर सच पूछिये तो है तो पत्थर ही
हज़ारों कोशिशें कर लो, पिघल या गल नही सकता
मैं यह एहसास लेकर, फ़िक्र करना छोड़ देता हूँ
जो होना है, वो होगा ही, कभी वो टल नही सकता।
~ कुंवर बेचैन
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