A wider meaning of the term “Kavi” is a person with very deep perception of the human phenomenon. In this sense Nida Fazli is a true kavi. His poems make you think and be amazed at his very fine perception. The following poem was written by him after a visit to Pakistan. The poem essentially says that common people in both countries have similar problems, issues and same kind of politics. Last stanza refers to a poem of Mir famous in both countries, that says “Dekho toh dil se yaa jaan se uthta hai, Yeh dhuan saa kahan se uthta hai..” Rajiv Krishna Saxeana
यहाँ भी, वहाँ भी
इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी
अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी
खूँख्वार दरिन्दों के फ़क़त नाम अलग हैं
शहरों में बयाबान यहाँ भी है वहाँ भी
रहमान की कुदरत हो या भगवान की मूरत
हर खेल का मैदान यहाँ भी है वहाँ भी
हिंदू भी मज़े में है‚ मुसलमाँ भी मजे में
इन्सान परेशान यहाँ भी है वहाँ भी
उठता है दिलो–जाँ से धुआँ दोनों तरफ ही
ये मीर का दीवान यहाँ भी है वहाँ भी
∼ निदा फ़ाज़ली
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