भारतीय समाज – भवानी प्रसाद मिश्र

Born: March 29, 1913 | Died: February 20, 1985 Bhavani Prasad Mishra is a very important poet in the history of Hindi Poetry. He wrote in a very typical style of his own where he appeared to be talking in every day language. He had strong faith in Gandhian thoughts and was known for fearlessly expressing his views. He published about 22 books between 1953 and 1983 and was honored with Sahitya Academy Award for the year 1972 for his book “Buni Hui Rassi”. Amongst numerous other honors he got was Padmshree by the Government of India. Rajiv Krishna Saxena

भारतीय समाज

कहते हैं
इस साल हर साल से पानी बहुत ज्यादा गिरा
पिछ्ले पचास वर्षों में किसी को
इतनी ज्यादा बारिश की याद नहीं है।

कहते हैं हमारे घर के सामने की नालियां
इससे पहले इतनी कभी नहीं बहीं
न तुम्हारे गांव की बावली का स्तर
कभी इतना ऊंचा उठा
न खाइयां कभी ऐसी भरीं, न खन्दक
न नरबदा कभी इतनी बढ़ी, न गन्डक।

पंचवर्षीय योजनाओं के बांध पहले नहीं थे
मगर वर्षा में तब लोग एक गांव से दूर दूर के गांवों तक
सिर पर सामान रख कर यों टहलते नहीं थे
और फिर लोग कहते हैं
जिंदगी पहले के दिनों की बड़ी प्यारी थी
सपने हो गये वे दिन जो रंगीनियों में आते थे
रंगीनियों में जाते थे
जब लोग महफिलों में बैठे बैठे
रात भर पक्के गाने गाते थे
कम्बख़्त हैं अब के लोग, और अब के दिन वाले
क्योंकि अब पहले से ज्यादा पानी गिरता है
और कम गाये जाते हैं पक्के गाने।

और मैं सोचता हूँ, ये सब कहने वाले
हैं शहरों के रहने वाले
इन्हें न पचास साल पहले खबर थी गांव की
न आज है
ये शहरों का रहने वाला ही
जैसे भारतीय समाज है।

∼ भवानी प्रसाद मिश्र

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