Beautiful eyes
मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ, एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा, आ अचानक दूर से उड़ता हुआ, एक तिनका आँख में मेरी पड़ा

एक तिनका – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

Here is a reality check. We may be proud and arrogant but a tiny particle fallen in our eyes may totally defeats us. Rajiv Krishna Saxena

 

एक तिनका

 

मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ
एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।

मैं झिझक उठा हुआ बैचैन सा
लाल होकर आँख भी दुखने लगी
मूठ देने लोग कपड़े की लगे
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।

जब किसी ढब से निकल तिनका गया
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिये
ऐंठता तू किस लिये इतना रहा
एक तिनका है बहुत तेरे लिये।

∼ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

लिंक्स:

 

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3 comments

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