गाली अगर न मिलती – राम अवतार त्यागी

गाली अगर न मिलती – राम अवतार त्यागी

Most people make compromises in life in order to achieve what they want. That is even considered a worldly wise thing to do. But there are few who stick to principles and refuse to compromise, as was the character of Dhermendra in the famous movie ‘Satyakam’. They suffer as a result, but gain self-respect. Rajiv Krishna Saxena

गाली अगर न मिलती

गाली अगर न मिलती तो फिर
मुझको इतना नाम न मिलता,
इस घायल महफिल में तुमको
सुबह न मिलता शाम न मिलता।

मैं तो अपने बचपन में ही
इन महलों से रूठ गया,
मैंने मन का हुक्म न टाला
चाहे जितना टूट गया,
रोटी से ज्यादा अपनी
आजादी को सम्मान दिया,
ऐसी बात नहीं है मुझको
कोई घटिया काम न मिलता।

मैंने खूब तराजू पर
चढ़ते देखा इंसानों को,
पशुओं के पैरों को छूते
देखा है इन्सानों को,
मैं तंगीनी में घुल जाता
या ढल जाता चाँदी में,
और सभी कुछ मिल जाता पर
मुझको मेरा गाम न मिलता।

मुझको रंगों रूपों का
जादू भरमाता चला गया,
मैं भी लेकिन इनको जी भर कर
ठुकराता चला गया,
मेरी तो केवल हसरत थी
दुनियाँ से टकराने की,
मैं मामूली रह जाता जो
मुझको यह संग्राम न मिलता।

∼ राम अवतार त्यागी

लिंक्स:

Check Also

In the midst of noise and extreme disarray, I am the voice of heart

तुमुल कोलाहल कलह में मैं हृदय की बात रे मन – जयशंकर प्रसाद

In times of deep distress and depression, a ray of hope and optimism suddenly emerges …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *