जरूरत क्या थी? – हुल्लड़ मुरादाबादी

जरूरत क्या थी? – हुल्लड़ मुरादाबादी

Things are sometimes done that have real bad repercussions. One then wonders – was there a real need to do such things in the first place? Rajiv Krishna Saxena

जरूरत क्या थी

आइना उनको दिखाने कि ज़रूरत क्या थी
वो हैं बंदर  ये बताने कि ज़रूरत क्या थी?

दो के झगड़े में पिटा तीसरा, चौथा बोला
आपको टाँग अड़ाने कि ज़रूरत क्या थी?

चार बच्चों को बुलाते तो दुआएँ मिलतीं
साँप को दूध पिलाने कि ज़रूरत क्या थी?

चोर जो चुप ही लगा जाता तो वो कम पिटता
बाप का नाम बताने कि ज़रूरत क्या थी?

जब पता था कि दिसंबर में पड़ेंगे ओले
सर नवंबर में मुँड़ाने कि ज़रूरत क्या थी?

अब तो रोज़ाना गिरेंगे तेरे घर पर पत्थर
आम का पेड़ लगाने कि ज़रूरत क्या थी?

एक शायर ने ग़ज़ल की जगह पे गाली पेली
उसको दस पैग पिलाने कि ज़रूरत क्या थी?

जब नहीं पूछा किसी ने क्या थे जिन्ना क्या नहीं
आपको राय बताने कि ज़रूरत क्या थी?

दोस्त जंगल में गया हाथ गँवा कर लौटा
शेर को घास खिलाने कि ज़रूरत क्या थी?

∼ हुल्लड़ मुरादाबादी

 

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