राष्ट्र की रपट - आचार्य भगवत दूबे

राष्ट्र की रपट – आचार्य भगवत दूबे

Here is the latest and rather realistic report of the country from the pen of Acharya Bhagwat Dube. Rajiv Krishna Saxena

राष्ट्र की रपट

नेतृत्व गया है भटक  बंधु
क्या लिखूँ राष्ट्र की रपट बंधु

कशमीर, आंध्र, आसाम सहित
जलते हैं केरल, कटक बंधु

सूखे चेहरे कुटियाओं के
महलों की रंगत चटक बंधु

हथकड़ी नोट से कट जाती
कैदी जातें हैं सटक बंधु

अपराधी छूटें, निरपराध
फाँसी पर जाते लटक बंधु

सौ रुपय लोक–हित जो भेजे
पच्चासी जाते अटक बंधु

जो नहर बांध से जानी थी
खुद बांध गया है गटक बंधु

दरबार लगा है झूठों का
सच बात न सकती फटक बंधु

सहमी उपेक्षिता, मर्यादा
पर रही नग्नता मटक बंधु

चूहे चालाक, चुनावों में
दिग्गज को देते पटक बंधु

आचार्य मौलवी तक भटके
यह बात रही है खटक बंधु

~ आचार्य भगवत दूबे

लिंक्स:

 

Check Also

In the midst of noise and extreme disarray, I am the voice of heart

तुमुल कोलाहल कलह में मैं हृदय की बात रे मन – जयशंकर प्रसाद

In times of deep distress and depression, a ray of hope and optimism suddenly emerges …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *