तू बावन बरस की, मैं बासठ बरस का- जेमिनी हरियाणवी

Madhumas (youthful passion) lasts for a short time. Couples get aged and the whole scenario changes. Here is a funny interpretation by Jamini Hariyanvi. Rajiv KrishnaSaxena

तू बावन बरस की, मैं बासठ बरस का

तू बावन बरस की, मैं बासठ बरस का
न कुछ तेरे बस का, न कुछ मेरे बस का

कहाँ है मेरा तेरे नजदीक आना
कहाँ है तेरा मुस्कराना लजाना
हुआ खात्म अपना वो मिलने का चसका
न कुछ तेरे बस का, न कुछ मेरे बस का

मैं था खूबसूरत, तू थी इक हसीना
वो सर्दी की रातें, पसीना पसीना
मगर रातभर अब तो खाँसी का ठसका
न कुछ तेरे बस का, न कुछ मेरे बस का

जवानी की घड़ियाँ थीं मस्ती में बीती
ये तन की सुराही हुई अब तो रीती
करा इम्तहाँ चाहे तू नस–नस का
न कुछ तेरे बस का, न कुछ मेरे बस का

∼ जेमिनी हरियाणवी

लिंक्स:

 

Check Also

When will it rain?

कब बरसेगा पानी – बेकल उत्साही

When would it rain? The eternal question is posed in this excerpt from a poem …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *