वो सुबह कभी तो आएगी – साहिर लुधियानवी

वो सुबह कभी तो आएगी – साहिर लुधियानवी

This early classic from Raj Kapoor’s movie “Phir Subah Hogi” is an evergreen number penned by Sahir Ludhiyanvi. The way desperation and hope have been depicted in this song, is unparalleled. You could listen to this song on the link at the end of the poem. Rajiv Krishna Saxena

वो सुबह कभी तो आएगी

वो सुबह कभी तो आएगी।
इन काली सदियों के सर से जब रात का आँचल ढलकेगा
जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर छलकेगा
जब अंबर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी।

जिस सुबह की खातिर युग युग से, हम सब मर मर कर जीते हैं
जिस सुबह की अनृत की धुन में, हम जहर के प्याले पीते हैं
इन भूखी प्यासी रूहों पर, इक दिन तो करम फरमाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी।

माना कि अभी तेरे मेरे अरमानों की कीमत कुछ भी नहीं
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर, इन्सानों की कीमत कुछ भी नहीं
इन्सानो की इज्जत जब झूठे सिक्कों में न तोली जाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी।

∼ साहिर लुधियानवी

लिंक्स:

 

Check Also

Some one has gone from my life

बात बात में – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Here is a reflection on the path of life. We find friends and lose them. …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *