हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी

हुल्लड़ और शादी – हुल्लड़ मुरादाबादी

[learn_more caption=”Introduction: See more”]Here are answers to some burning questions about marriage by Hullad Muradabadi, in the style of Kaka Hathrasi. Rajiv Krishna Saxena[/learn_more]

हुल्लड़ और शादी

दूल्हा जब घोड़ी चढ़ा, बोले रामदयाल
हुल्लड़ जी बतलइए, मेरा एक सवाल
मेरा एक सवाल, गधे पर नहीं बिठाते
दूल्हे राजा क्यों घोड़ी पर चढ़ कर आते?
कह हुल्लड़ कविराय, ब्याह की रीत मिटा दें
एक गधे को, गधे दूसरे पर बिठला दें!

मंडप में कहनें लगीं, मुझसे मिस दस्तूर
लड़की की ही माँग में, क्यों भरते सिंदूर
क्यों भरते सिंदूर, आदमी बच जाते हैं
वे भी अपनी माँग नहीं क्यों भरवाते हैं?
कह हुल्लड़ यदि सभी आदमी माँग भराते,
दुनियाँ भर के गंजे सब क्वारे रह जाते!

समय विदा का आ गया, दुल्हन चली ससुराल
रोती सभी सहेलियाँ, बहुत बुरा था हाल
बहुत बुरा था हाल, बहन नाजों से पाली
दुख मत देना उसे, कहे जीजा से साली
जीजा बोले क्यों रोती हो, मेरी साली प्यारी
जैसे बहन तुम्हारी है यह, वैसी बहन हमारी!

~ हुल्लड़ मुरादाबादी

लिंक्स:
कविताएं: सम्पूर्ण तालिका
लेख:  सम्पूर्ण तालिका
गीता-कविता: हमारे बारे में
गीता काव्य माधुरी
बाल गीता
प्रोफेसर राजीव सक्सेना

Classic View Home

Check Also

A divine girl-friend and a rather meek boy-friend!

मैं बल्ब और तू ट्यूब सखी – बाल कृष्ण गर्ग

Here is a very funny poem by Bal Krishna Garg on the inferiority complex felt …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *