हुल्लड़ के दोहे – हुल्लड़ मुरादाबादी

हुल्लड़ के दोहे – हुल्लड़ मुरादाबादी

We have read dohas by Kabir and Rahim. They are full of wisdom and insight. Here are some selected gems written by Hullad Muradabadai. Have fun! Rajiv Krishna Saxena

हुल्लड़ के दोहे

कर्ज़ा देता मित्र को, वह मूर्ख कहलाए,
महामूर्ख वह यार है, जो पैसे लौटाए।

बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोय,
पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोय।

गुरु पुलिस दोऊ खड़े, काके लागूं पाय,
तभी पुलिस ने गुरु के, पांव दिए तुड़वाय।

पूर्ण सफलता के लिए, दो चीज़ें रखो याद,
मंत्री की चमचागिरी, पुलिस का आशीर्वाद।

नेता को कहता गधा, शरम न तुझको आए,
कहीं गधा इस बात का, बुरा मान न जाए।

बूढ़ा बोला, वीर रस, मुझसे पढ़ा न जाए,
कहीं दांत का सैट ही, नीचे न गिर जाए।

हुल्लड़ खैनी खाइए, इससे खांसी होय,
फिर उस घर में रात को, चोर घुसे न कोय।

हुल्लड़ काले रंग पर, रंग चढ़े न कोय,
लक्स लगाकर कांबली, तेंदुलकर न होय।

बुरे समय को देखकर, गंजे तू क्यों रोय,
किसी भी हालत में तेरा, बाल न बांका होय।

दोहों को स्वीकारिये, या दीजे ठुकराय,
जैसे मुझसे बन पड़े, मैंने दिए बनाय।

कोई कील चुभाए तो, उसे हथौड़ा मार
इस युग में तो चाहिये, जस को तस व्यवहार।

जीवन इक ससपैंस है, जाने कब क्या होए
‘हुल्लड़’ ऐसी फिल्म का, ऐंड न जाने कोय।

कर्ता बनकर जो जिए, वो पीछे पछताए
वो बैंगन तो हैं नहीं, पर भुर्ता बन जाए।

जब पव्वे के नशे से, बहक गया इंसान
पूरी बोतल तब उसे, क्यों देगा इंसान।

हीरे गड्ढा खोद कर, रखिये सदा छिपाए
ना जाने घर पर तेरे, कब छापा पड़ जाय।

पैसा पाने का तुझे, बतलाता हूं प्लान
क़र्जा लेकर बैंक से, हो जा अन्तर्धान।

धन चाहे मत दीजिये, जग के पालनहार
पर इतना तो कीजिये, मिलता रहे उधार।

बीमा मत करवाइये, समझाता हूँ तोय
पैसा पत्नी को मिले, मरण तुम्हारा होय।

यम बोले “यह आदमी, है धरती पर भार
जगह नहीं है नरक में, भेजो इसे बिहार”।

सत्यवान पर है गिरी, इस कलियुग में गाज
सावित्री के साथ में, भाग गए यमराज ।

जो भी दोहा पाठ में, ताली नहीं बजाए
उस नर को विद फैमिली, पुलिस पकड़ ले जाए।

∼ हुल्लड़ मुरादाबादी

 

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One comment

  1. सूर सार तुलसी ससुर,भुसण बिटीया देयी।
    लावा परछईय कबीर दास,नयी रुमाली लेयी।।
    By Ck Raja

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