Public always pays for the indulgences of its leaders. Jamini Hariyanavi has given voice to the helpless public. Rajiv Krishna Saxena
क्या कहा?
आप हैं आफत‚ बलाएं क्या कहा?
आपको हम घर बुलाएं‚ क्या कहा?
खा रही हैं देश को कुछ कुर्सियां‚
हम सदा धोखा ही खाएं‚ क्या कहा?
ऐसे वैसे काम सारे तुम करो‚
ऐसी–तैसी हम कराएं‚ क्या कहा?
आज मंहगाई चढ़ी सौ सीढ़ियां‚
चांद पर खिचड़ी पकाएं‚ क्या कहा?
आप ताजा मौसमी का रस पियें‚
और हम कीमत चुकाएं‚ क्या कहा?
आपनें पीड़ओं की सौगात दी‚
दर्द में भी मुस्कुराएं‚ क्या कहा?
आपके बंगले महल ये कोठियां‚
झोपड़ी अपनी उठाएं‚ क्या कहा?
वो बहाते धन को पानी की तरह‚
हम फ़क़त आंसू बहाएं‚ क्या कहा?
राजधानी में डिनर और भोज हों‚
पेट भूखा हम बजाएं‚ क्या कहा?
क्यों उड़ाते हो गरीबों का मजाक?
हम भी दीवाली मनाएं‚ क्या कहा?
∼ जेमिनी हरियाणवी
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