Here is a part of a poem by Allhad Bikaneri, the well known hasya kavi. Here he pleads to let him form the Government, just once! And look at the interesting promises he makes… – Rajiv Krishna Saxena
मुझको सरकार बनाने दो
जो बुढ्ढे खूसट नेता हैं, उनको खड्डे में जाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
मेरे भाषण के डंडे से
भागेगा भूत गरीबी का,
मेरे वक्तव्य सुनें तो झगड़ा
मिटे मियां और बीवी का।
मेरे आश्वासन के टानिक का
एक डोज़ मिल जाए अगर,
चंदगी राम को करे चित्त
पेशेंट पुरानी टी बी का।
मरियल सी जनता को मीठे, वादों का जूस पिलाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
जो कत्ल किसी का कर देगा
मैं उसको बरी करा दूँगा,
हर घिसी पिटी हीरोइन कि
प्लास्टिक सर्जरी करा दूँगा;
लड़के लड़की और लैक्चरार
सब फिल्मी गाने गाएंगे,
हर कालेज में सब्जैक्ट फिल्म
का कंपल्सरी करा दूँगा।
हिस्ट्री और बीज गणित जैसे विषयों पर बैन लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
जो बिल्कुल फक्कड़ हैं, उनको
राशन उधार तुलवा दूँगा,
जो लोग पियक्कड़ हैं, उनके
घर में ठेके खुलवा दूँगा;
सरकारी अस्पताल में जिस
रोगी को मिल न सका बिस्तर,
घर उसकी नब्ज़ छूटते ही
मैं एंबुलैंस भिजवा दूँगा।
मैं जन-सेवक हूँ, मुझको भी, थोडा सा पुण्य कमाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
श्रोता आपस में मरें कटें
कवियों में फूट नहीं होगी,
कवि सम्मेलन में कभी, किसी
की कविता हूट नहीं होगी;
कवि के प्रत्येक शब्द पर जो
तालियाँ न खुलकर बजा सकें,
ऐसे मनहूसों को, कविता
सुनने की छूट नहीं होगी।
कवि की हूटिंग करने वालों पर, हूटिंग टैक्स लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
ठग और मुनाफाखोरों की
घेराबंदी करवा दूँगा,
सोना तुरंत गिर जाएगा
चाँदी मंदी करवा दूँगा;
मैं पल भर में सुलझा दूँगा
परिवार नियोजन का पचड़ा,
शादी से पहले हर दूल्हे
की नसबंदी करवा दूँगा।
होकर बेधड़क मनाएंगे फिर हनीमून दीवाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
∼ अल्हड़ बीकानेरी
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An awsmm awssm poem..ye kavita maine skool main boli thi bht saal pehle or prize bhi liya tha…