नेताओं का चरित्र - माणिक वर्मा

नेताओं का चरित्र – माणिक वर्मा

Here is a funny poem by hasya kavi Manik Verma on the in-affordability of fresh vegetables by common people. Illustration is by yours truly. – Rajiv Krishna Saxena

नेताओं का चरित्र

सब्जी वाला हमें मास्टर समझता है
चाहे जब ताने कसता है
‘आप और खरीदोगे सब्जियां!
अपनी औकात देखी है मियां!
हरी मिर्च एक रुपए की पांच
चेहरा बिगाड़ देगी आलुओं की आंच
आज खा लो टमाटर
फिर क्या खाओगे महीना–भर?
बैगन एक रुपए के ढाई
भिंडी को मत छूना भाई‚
पालक पचास पैसे की पांच पत्ती
गोभी दो आने रत्ती‚
कटहल का भाव पूछोगे
तो कलेजा हिल जाएगा
ये नेताओं का चरित्र नहीं है जो
चार आने पाव मिल जाएगा!’

~ माणिक वर्मा

लिंक्स:

 

Check Also

A divine girl-friend and a rather meek boy-friend!

मैं बल्ब और तू ट्यूब सखी – बाल कृष्ण गर्ग

Here is a very funny poem by Bal Krishna Garg on the inferiority complex felt …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *