Kaka Hathrasi was amongst the best known hasya kavis in Hindi. Here he tell us in Brij Bhasha what actually happened to Bholu Teli who hawked oil in the village market and had disappeared for a year only to reappear once more, but how… – Rajiv Krishna Saxena
तेली कौ ब्याह
भोलू तेली गाँव में, करै तेल की सेल
गली-गली फेरी करै, ‘तेल लेऊ जी तेल’
‘तेल लेऊ जी तेल’, कड़कड़ी ऐसी बोली
बिजुरी तड़कै अथवा छूट रही हो गोली
कहँ काका कवि कछुक दिना सन्नाटौ छायौ
एक साल तक तेली नहीं गाँव में आयो।
मिल्यौ अचानक एक दिन, मरियल बा की चाल
काया ढीली पिलपिली, पिचके दोऊ गाल
पिचके दोऊ गाल, गैल में धक्का खावै
‘तेल लेऊ जी तेल’, बकरिया सौ मिमियावै
पूछी हमने जे कहा हाल है गयौ तेरौ
भोलू बोलो, काका ब्याह है गयौ मेरौ।
∼ काका हाथरसी
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Bahut achchi kavita hai. Dhanyavad. Kaka ki aur doosri bhi kavitaye hongi aapke paas?