Do not get distracted from your aim!
जब सपने सब मिट जाएंगे, कर्तव्य मार्ग सन्मुख होगा, तब अपनी प्रथम विफलता में, पथ भूल न जाना पथिक कहीं।

पथ भूल न जाना – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Life is strange. One must move on in spite of constant problems and obstructions. Here is a lovely poem by Shivmangal Singh Suman. I would like to thank a reader Anantika for sending this poem to me – Rajiv Krishna Saxena

पथ भूल न जाना

पथ भूल न जाना पथिक कहीं
पथ में कांटे तो होंगे ही
दुर्वादल सरिता सर होंगे
सुंदर गिरि वन वापी होंगे
सुंदरता की मृगतृष्णा में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं।

जब कठिन कर्म पगडंडी पर
राही का मन उन्मुख होगा
जब सपने सब मिट जाएंगे
कर्तव्य मार्ग सन्मुख होगा
तब अपनी प्रथम विफलता में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं।

अपने भी विमुख पराए बन
आंखों के आगे आएंगे
पग पग पर घोर निराशा के
काले बादल छा जाएंगे
तब अपने एकाकीपन में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं।

रण भेरी सुन कर विदा विदा
जब सैनिक पुलक रहे होंगे
हाथों में कुमकुम थाल लिये
कुछ जलकण ढुलक रहे होंगे
कर्तव्य प्रेम की उलझन में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं।

कुछ मस्तक काम पड़े होंगे
जब महाकाल की माला में
मां मांग रही होगी अहूति
जब स्वतंत्रता की ज्वाला में
पल भर भी पड़ असमंजस में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं।

∼ शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

लिंक्स:

 

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11 comments

  1. I am really thankful for shree shiv mangal singh suman ,
    Because this poem restarts my life

    • Isme ek line miss hui hain pehle stanza main.
      पथ भूल न जाना पथिक कहीं
      पथ में कांटे तो होंगे ही
      दुर्वादल सरिता सर होंगे
      सुंदर गिरि वन वापी होंगे
      सुंदर सुंदर निर्झर होंगे
      सुंदरता की मृगतृष्णा में
      पथ भूल न जाना पथिक कहीं।

  2. Nikhil vishwakarma

    What a beautiful poem it is !!

  3. very nice

    • अति सुंदर एवं अर्थपूर्ण कविता है। कवि को कोटि कोटि प्रणाम।

  4. Pradeep Kumar Vishwakarma

    I really like this poem.

  5. I am grateful to ‘Suman’. The finest poem I learnt in childhood and still is palpable in my memories.

  6. This poem stands on reality.

  7. बचपन की पढ़ी थी ताउम्र याद रहेगी ये कविता

  8. Fateh bahadur singh

    A beautiful poem based on reality of life.

  9. Beautiful poem

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