Most of our lives are hum-drum. There are few moments of elation and stretches of depression. Meeting the love is a super special event, and that unique night gets ingrained in memory as one of the highest notes of life. Here is a lovely poem by Chiranjeet – Rajiv Krishna Saxena
लजीली रात आई है
सजोले चांद को लेकर‚ नशीली रात आई है।
नशीली रात आई है।
बरसती चांदनी चमचम‚ थिरकती रागिनी छम छम‚
लहरती रूप की बिजली‚ रजत बरसात आई है।
नशीली रात आई है।
जले मधु रूप की बाती‚ दुल्हनिया रूप मदमाती‚
मिलन के मधुर सपनों की‚ सजी बारात आई है।
नशीली रात आई है।
सजी है दूधिया राहें‚ जगी उन्मादनी चाहें‚
रही जो अब तलक मन में‚ लबों पर बात आई है।
नशीली रात आई है।
~ चिरंजीत
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