Living a life is tough but there are some nights of pure love and bliss. Here is how Chiranjit describes such a night. Rajiv Krishna Saxena
मधु की रात
अलक सन्धया ने सँवारी है अभी
म्यान में चन्दा कटारी है अभी
चम्पई रंग पे न आ पाया निखार
रात यह मधु की, कुंआरी है अभी।
चाँदनी की डगर पर तुम साथ हो
प्राण युग–युग तक अमर यह रात हो
कल हलाहल ही पिला देना मुझे
आज मधु की रात, मधु की बात हो।
क्या सितारों के इशारे, ध्यान दो
कह रही मधुबात क्या, टुक ध्यान दो
जिन्दगी प्यासी खड़ी है द्वार पर
आज मधु का पर्व, मधु का दान दो।
रात है, मधु है, समर्पित गात है
आज तो यह पाप की अवदात है
सघन श्यामल केश लहराते रहें
मैं रहूँ भ्रम में, अभी तो रात है।
बहुत खोया, अौर खोने दो मुझे
और भी गुमराह होने दो मुझे
आज पलकों की छबीली छांह में–
लग गई है आँख, सोने दो मुझे।
~ चिरंजीत
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