Anil Verma, an engineer settled in Australia came to my office in Delhi and presented a copy of his newly released first poetry book “Ek Mukt Jwar”. I liked the book. I have never seen a Hindi Poetry book in which English translation of all poems are also provide. One sample poem is presented here. Illustration is a painting of Pramod Apte. Rajiv Krishna Saxena
तुम्हारे पत्र
प्राण जैसे भाव
प्यासे होंठ–से अक्षर
तुम्हारे पत्र
बीतते, बीते पलों की
इन्द्रधनुषी याद का
संगीतमय जादू
या सहज अनुराग के
आनंद की कुछ गुनगुनाती
धूप की खुशबू
रच गये
बेकल हृदय के गाँव में
पायल बंधे कुछ पाँव
किस अधिकार से अक्सर
तुम्हारे पत्र
प्राण जैसे भाव
प्यासे होंठ–से अक्षर
तुम्हारे पत्र
∼ अनिल वर्मा
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