याद आती रही – प्रभा ठाकुर

Some one has gone – left for ever – only memories remain and tears. Prabha Thakur describes the feelings. Rajiv Krishna Saxena

याद आती रही

आंख रह–रह मेरी डबडबाती रही‚
हम भुलाते रहे याद आती रही!

प्राण सुलगे‚ तो जैसे धुआं छा गया।
नैन भीगे‚ ज्यों प्यासा कुआं पा गया।
रोते–रोते कोई बात याद आ गई‚
अश्रु बहते रहे‚ मुसकुराती रही!

सांझ की डाल पर सुगबुगाती हवा‚
फिर मुझे दृष्टि भरकर किसी ने छुआ‚
घूम कर देखती हूं‚ तो कोई नहीं‚
मेरी परछाई मुझको चिढ़ाती रही!

एक तस्वीर है‚ एक है आइना‚
जब भी होता किसी से मेरा सामना
मैं समझ ही न पाती कि मैं कौन हूं‚
शक्ल‚ यूं उलझनों को बढ़ाती रही!

∼ प्रभा ठाकुर

लिंक्स:

 

Check Also

A message form the motherland for those who left the country

रे प्रवासी जाग – रामधारी सिंह दिनकर

There is always nostalgia about the country we left long ago. Even as we wade …

One comment

  1. मधु बाहेती

    आपकी कविता
    गीत अर्थहीन हो गए , जबसे तुम ज़हीन हो गए
    मुझे पसंद ह ,
    यदि भेज सको तो अच्छा लगेगा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *