अब घर लौट आओ – महेश्वर तिवारी

अब घर लौट आओ – महेश्वर तिवारी

Memories of childhood home create huge nostalgia. There is a strong urge to return. All these memories seem to exhort you to return Rajiv Krishna Saxena

अब घर लौट आओ

चिट्ठियाँ भिजवा रहा है गाँव,
अब घर लौट आओ।

थरथराती गंध
पहले बौर की
कहने लगी है,
याद माँ के हाथ
पहले कौर की
कहने लगी है,
थक चुके होंगे सफ़र में पाँव
अब घर लौट आओ।

कह रही है
जामुनी मुस्कान
फूली है निबोरी
कई वर्षों बाद
खोली है
हरेपन ने तिजोरी
फिर अमोले माँगते हैं दाँव
अब घर लौट आओ।

∼ महेश्वर तिवारी

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