Here is a lovely poem on basant by Purnima Varman Ji. This reminds me of a lovely basant geet sung by the famous singer Mallika Pukhraj. – Rajiv Krishna Saxena
एक गीत और कहो
सरसों के रंग सा‚ महुए की गंध सा
एक गीत और कहो मौसमी वसंत का।
होठों पर आने दो रूके हुए बोल
रंगों में बसने दो याद के हिंदोल
अलकों में झरने दो गहराती शाम
झील में पिघलने दो प्यार के पैगाम
अपनों के संग सा‚ बहती उमंग सा
एक गीत और कहो मौसमी वसंत का।
मलयानिल झोंकों में डूबते दलान
केसरिया होने दो बांह के सिवान
अंगों में खिलने दो टेसू के फूल
सांसों तक बहने दो रेशमी दुकूल
तितली के रंग सा‚ उड़ती पतंग सा
एक गीत और कहो मौसमी वसंत का।
∼ पूर्णिमा वर्मन
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