Here is an old classic poem by Rashtra-Kavi Mathilisharan Gupt, praising the great and ancient motherland India. Rajiv Krishna Saxena विजय भेरी जीवन रण में फिर बजे विजय की भेरी। भारत फिर भी हो सफल साधना तेरी। आत्मा का अक्षय भाव जगाया तू ने, इस भाँति मृत्यु भय मार भगाया …
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