A lovely poem by Rituraj Ji. A kind old couple living in a house for long time and the nature around them too applauds them! Rajiv Krishna Saxena पड़ोस कोयलों ने क्यों पसंद किया हमारा ही पेड़? बुलबुलें हर मौसम में क्यों इसी पर बैठी रहती हैं? क्यों गौरैयों के …
Read More »पुरुस्कार – शकुंतला कालरा
Here is a lovely poem for children, that conveys Geeta’s message of doing deeds without expectations of rewards. I have done the illustration myself. Rajiv Krishna Saxena पुरुस्कार गीतों का सम्मेलन होगा, तुम सबको यह बात बतानी, अकड़–अकड़ कर मेंढक बोले, तुम भी चलना कोयल रानी। मीकू बंदर, चीकू मेंढक …
Read More »कौन सिखाता है चिड़ियों को – सोहनलाल द्विवेदी
Here is a popular poem of Sohanlal Dwivedi Ji. Who teaches birds… Many would have read it in school days. Rajiv Krishna Saxena कौन सिखाता है चिड़ियों को कौन सिखाता है चिडियों को चीं–चीं चीं–चीं करना? कौन सिखाता फुदक–फुदक कर उनको चलना फिरना? कौन सिखाता फुर से उड़ना दाने चुग-चुग …
Read More »अपना घर है सबसे प्यारा
Here is a little poem that my mother taught us kids. I do not know who wrote this poem, but it has a lot of truth in it! Rajiv Krishna Saxena अपना घर है सबसे प्यारा चिड़ियाँ के थे बच्चे चार निकले घर से पंख पसार पूरब से पश्चिम को …
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